‘‘गीता आचरण - ए बिगिनर्स पर्सपेक्टिव’’ का आठवां संस्करण लॉन्च‘‘गीता आचरण - ए बिगिनर्स पर्सपेक्टिव’’ का आठवां संस्करण लॉन्च

चंडीगढ़, 26 अप्रैल। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के. शिव प्रसाद द्वारा लिखित व व्यापक रूप से प्रशंसित पुस्तक, ‘‘गीता आचरण – ए बिगिनर्स पर्सपेक्टिव’’ का आठवां संस्करण, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा गुरुवार शाम को पंजाब राजभवन में औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया।

इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल और यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन मौजूद रहे।यह संस्करण ‘‘गीता आचरण’’ की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह अब अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी, उड़िया, बंगाली, मराठी, तेलुगु और गुजराती सहित आठ भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। इस पुस्तक की उपलब्धता और पहुंच को व्यापक बनाने के लिए इसे उर्दू में भी प्रकाशित करने की योजना पर काम चल रहा है।

राम नाथ कोविंद ने इस पुस्तक का कई भाषाओं में अनुवाद के माध्यम से भगवद गीता की शिक्षाओं को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने गीता में समाहित कालातीत ज्ञान की गहरी समझ को बढ़ावा देने में ‘‘गीता आचरण’’ जैसी पहल के महत्व पर प्रकाश डाला।

पंजाब के राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव के. शिव प्रसाद द्वारा लिखित, ‘‘गीता आचरण – ए बिगिनर्स पर्सपेक्टिव’’ नामक पुस्तक छोटी-छोटी रचनाओं के माध्यम से जटिल दार्शनिक सिद्धांत को सरल तरीके से प्रस्तुत करती है। पश्चिमी सोच प्रक्रियाओं और व्यवहार विज्ञान में तीन दशकों से अधिक के अनुभव और अंतःविषय अध्ययन से प्रेरणा लेते हुए, के. शिव प्रसाद की इस रचना का उद्देश्य नये पाठकों, विशेष रूप से युवाओं के साथ जुड़ना है, जिससे उन्हें खुशी और अनुकूलता के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया जा सके।

आधुनिक वैज्ञानिक समझ के साथ आध्यात्मिकता के मिश्रण वाली इस पुस्तक के अनूठे दृष्टिकोण ने व्यापक प्रशंसा अर्जित की है। आधुनिक वैज्ञानिक संदर्भ में गीता की व्याख्या करने वाला के. शिव प्रसाद का साप्ताहिक कॉलम देशभर के प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित होता है, जिससे आध्यात्मिक ज्ञान पर होने वाली चर्चा और अधिक समृद्ध हुई है।

पुस्तक उन लोगों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है जो गीता के ज्ञान को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने की इच्छा रखते हैं। कई भाषाओं में इस पुस्तक की उपलब्धता इसमें निहित शाश्वत ज्ञान को दुनिया भर के पाठकों के लिए सुलभ बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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