नए कुलपतियों की जिम्मेदारी: युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देंनए कुलपतियों की जिम्मेदारी: युवाओं को स्किल ट्रेनिंग दें

चंडीगढ़, 23 जून। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों के नवनियुक्त कुलपतियों से युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से कौशल विकास कार्यक्रमों पर विशेष जोर देने का आह्वान किया है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालयों को शिक्षा और रोजगार के बीच के अंतर को कम करने के लिए उद्योगों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। प्रत्येक विश्वविद्यालय को अपने कम से कम 10 प्रतिशत कार्यक्रम औद्योगिक भागीदारों के सहयोग से चलाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस पहल से राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। साथ ही विभिन्न उद्योगों की उभरती जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी आज यहां अपने निवास स्थान संत कबीर कुटीर में प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के नवनियुक्त कुलपतियों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। विश्वविद्यालयों को राज्य सरकार के पूर्ण मार्गदर्शन, संसाधन और समर्थन का आश्वासन देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा को एक ऐसे राज्य में बदलना होगा जो न केवल डिग्री प्रदान करे बल्कि अपने युवाओं को सार्थक दिशा और उद्देश्य भी प्रदान करे।

मुख्यमंत्री ने हरियाणा के प्रत्येक जिले में एक मॉडल स्किल कॉलेज और एक मॉडल स्किल स्कूल स्थापित करने के राज्य सरकार के विजन को रेखांकित किया।

ये संस्थान छात्रों को विशेष कौशल शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, उन्हें प्रतिस्पर्धी जॉब -मार्किट में सफल होने के लिए व्यावहारिक विशेषज्ञता से लैस करेंगे। उन्होंने एक कुशल कार्यबल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया जो आधुनिक उद्योगों की मांगों के अनुरूप है और हरियाणा के समग्र आर्थिक विकास में योगदान देता है।

नायब सिंह सैनी ने राज्य के कुलपतियों से हरियाणा को वैश्विक स्तर पर ऊंचा उठाने के लिए संस्थागत रैंकिंग बढ़ाने का आह्वान करते हुए शोध आउटपुट, रोजगार के अवसरों, संस्थागत रैंकिंग और शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार की दिशा में प्रयास तेज करने का आग्रह किया। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करने और निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि कुलपतियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा की उपस्थिति बढ़ाने के लिए अपने-अपने संस्थानों की रैंकिंग और रेटिंग बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। नैतिक नेतृत्व के महत्व पर जोर देते हुए इस बात पर बल दिया गया कि ईमानदारी, निष्पक्षता और गैर-भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण के साथ काम करना जरूरी है। यह न केवल अकादमिक उत्कृष्टता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अधिक समावेशी और टिकाऊ संस्थागत संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने इसे एक ऐतिहासिक दस्तावेज बताया और शिक्षण संस्थानों में इसके त्वरित और प्रभावी कार्यान्वयन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। श्री सैनी ने कुलपतियों से नवाचार और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए एनईपी के प्रमुख आयामों के साथ अपनी रणनीतियों को संरेखित करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वविद्यालयों से “विकसित भारत-विकसित हरियाणा” के विजन को साकार करने की दिशा में अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान देने का आग्रह किया,  ताकि राज्य और राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा राज्य अनुसंधान कोष (एचएसआरएफ) की स्थापना की गई है। इसमें 20 करोड़ रुपये की शुरुआती आवंटन के साथ, एचएसआरएफ अपनी तरह का पहला कोष है जो नवीन अनुसंधान प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि विश्वविद्यालय इस निधि का अधिकतम प्रयोग गांवों की सामाजिक समस्याओं और चुनौतियों से निपटने संबंधी शोध कार्यों पर करें।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस निधि का रणनीतिक रूप से उपयोग ग्रामीण समुदायों के विकास और कल्याण में योगदान देने वाले प्रभावशाली अध्ययनों को बढ़ावा देने के लिए किया जाना चाहिए। छात्रों को न केवल अकादमिक रूप से, बल्कि नैतिक और सामाजिक रूप से भी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जाना चाहिए

मुख्यमंत्री सैनी ने सभी विश्वविद्यालयों और उनके संबद्ध कॉलेजों को नैक (NAAC) मान्यता प्राप्त करने का आग्रह करते हुए उच्च शिक्षा में गुणवत्ता-आश्वासन (Quality Assurance ) के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संस्थागत प्राथमिकताओं के रूप में संकाय विकास, व्यापक छात्र मार्गदर्शन और सामाजिक परियोजनाओं में सक्रिय भागीदारी बढ़ाने पर बल दिया।

सैनी ने छात्रों को न केवल अकादमिक रूप से, बल्कि नैतिक और सामाजिक रूप से भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने के लिए मूल्य-आधारित शिक्षा प्रदान करने की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कुलपतियों से अपने विश्वविद्यालयों को शिक्षा के उच्चतम मानकों तक बढ़ाने का आग्रह किया, यहां तक कि वैश्विक मान्यता प्राप्त करने की आकांक्षा भी जताई।

बैठक में मुख्यमंत्री के ओएसडी डॉ. राज नेहरू, डॉ. बीआर अंबेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत के कुलपति प्रो. (डॉ.) देवेन्द्र सिंह, चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, सिरसा के कुलपति प्रो. विजय कुमार, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर, रेवाड़ी के कुलपति प्रो. असीम मिगलानी, गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कौशिक, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद के कुलपति प्रो. रामपाल सैनी, दादा लख्मीचंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विश्वविद्यालय, रोहतक के कुलपति प्रो. अमित आर्य तथा श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय दुधोला पलवल के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार उपस्थित थे।

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