सीएम ने प्रस्तावित शहीदी सभा के प्रबंधों का लिया जायजासीएम ने प्रस्तावित शहीदी सभा के प्रबंधों का लिया जायजा

चंडीगढ़, 9 दिसंबर। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज अधिकारियों को निर्देश दिए कि 25, 26 और 27 दिसंबर को श्री फतेहगढ़ साहिब में आयोजित होने वाली शहीदी सभा के लिए व्यापक प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं।

शहीदी सभा की तैयारियों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सड़कों की मरम्मत के लिए पहले ही धन आवंटित कर दिया है, इसलिए यह कार्य समयबद्ध तरीके से पूरा होना चाहिए। 

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गुरुद्वारा साहिब जाने वाली प्रत्येक सड़क पर हेल्पलाइन केंद्र स्थापित किए जाएं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। 

मान ने अधिकारियों से कहा कि श्री फतेहगढ़ साहिब के हर स्थान को सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में लाना सुनिश्चित किया जाए, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीदी सभा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुख्ता प्रबंध किए जाएं और इस अवसर पर शहर की सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह पवित्र धरती केवल सिखों के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हर साल यहां छोटे साहिबजादों और माता गुजरी जी के शहीदी दिवस पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रद्धांजलि अर्पित करने आते हैं। 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि शहीदी सभा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

उन्होंने कहा कि वे स्वयं इस कार्य की निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी प्रबंध समय पर पूरे हों। उन्होंने कहा कि इस पवित्र धरती पर माता गुजरी जी और साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह एवं साहिबजादा बाबा फतेह सिंह की शहादत ने पंजाबियों को अन्याय, हिंसा और अत्याचार के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि छोटे साहिबजादों द्वारा कम उम्र में दी गई महान कुर्बानी का विश्व इतिहास में कोई उदाहरण नहीं मिलता।

मान ने कहा कि हर साल शहीदी सभा के दौरान लाखों श्रद्धालु इस स्थान पर नतमस्तक होते हैं, इसलिए राज्य सरकार इस नगर को पूरी तरह से नया स्वरूप दे रही है। उन्होंने कहा कि इस पवित्र स्थान पर आने वाले श्रद्धालुओं को हर सुविधा प्रदान करना राज्य सरकार का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक व्यवहारिक तंत्र तैयार किया जाना चाहिए।

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