देश और धर्म के लिए दी गुरुपुत्रों ने क़ुर्बानी : डॉ. चौहानदेश और धर्म के लिए दी गुरुपुत्रों ने क़ुर्बानी : डॉ. चौहान

असंध। दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों की शहादत संसार की सबसे बड़ी कुर्बानियों में शामिल है। इतने छोटे बच्चों पर इस तरह का अमानवीय अत्याचार भी शायद ही कहीं कभी हुआ हो।भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने आज यहाँ वीर बाल दिवस पर आयोजित दो अलग अलग कार्यक्रमों में यह बात कही। उन्होंने कहा कि गरम तवे पर बिठा कर मुग़लों ने गुरु अर्जुन देव को शहीद किया, गुरु तेग़ बहादुर जी का शीश दिल्ली में धड़ से अलग किया गया, दो गुरुपुत्र ज़िंदा दीवारों में चुनवा दिये गये और इसी तरह कालांतर में बंदा बहादुर को यातनाएँ दे कर शहीद किया गया।

इन सभी मामलों में ज़ालिम मुग़लों की शर्त यही थी कि इस्लाम स्वीकार कर लोगे तो प्राण बच जाएंगे। हमारे महान पूर्वजों ने मरना स्वीकार किया मगर धर्म नहीं छोड़ा। डॉ. चौहान ने कहा कि देश और धर्म के लिए नई पीढ़ी में यही जज़्बा जगाना वीर बाल दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य है।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय असंध में आयोजित वीर बाल दिवस समारोह के कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और शिक्षाविद डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि देश अब स्वतंत्र है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तेज गति से आगे बढ़ रहा है। यह समय देश के लिए सक्षम और सामर्थ्यवान नागरिक बन कर उसे उन्नति के शिखर पर ले जाने के लिए ख़ुद को तैयार करने का है।

इस अवसर पर विद्यालय के पूर्व छात्र और सहायक महाधिवक्ता भगवत दयाल शर्मा और प्राचार्य पवन जिंदल ने गुरुपुत्रों के बलिदान से प्रेरणा ले कर काम करने का आवाहन किया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने भी साहिबज़ादों की क़ुर्बानी की दास्तान पर प्रकाश डाला। विद्यार्थियों ने वीर बाल दिवस के संबंध में पोस्टर बना कर उन्हें नमन किया।

उधर, मिनर्वा पब्लिक स्कूल में भाजपा मण्डल अध्यक्ष राम अवतार जिंदल और प्रबंध समिति के प्रधान सुरेश जलमाना की अध्यक्षता में वीर बाल दिवस आयोजित किया गया।

मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में प्रो. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि स्वाधीनता के तुरंत बाद बाल दिवस साहिबजादों के नाम पर मनाए जाने का निर्णय हो जाना चाहिए था। मगर उस दौर की सरकारों ने मानसिक ग़ुलामी के प्रभाव में यह फ़ैसला नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने इस निर्णय को लेकर गुरु पुत्रों के बलिदान की दास्तान को देश के कोने कोने में पहुँचाने की व्यवस्था की।

उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग सिख पंथ का नाम लेकर देश की ख़िलाफ़त करते हुए नज़र आते हैं। ऐसे तत्व गुरु गोबिंद सिंह जी और गुरु पुत्रों के सच्चे अनुयाई बिल्कुल नहीं हो सकते।

भारतीय जनता पार्टी के ज़िला सचिव गुरबख़्शीश सिंह लाड्डी ने इस अवसर पर चारों साहिबज़ादों और माता गुजरी कौर के संघर्ष और बलिदान की दास्तान विस्तार से सुनाई। उन्होंने बच्चों का आवाहन किया कि वे पूर्वजों की महान परंपरा से अपना नाता जोड़ें।

कार्यक्रम का संचालन भारत विकास परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट नरेन्द्र शर्मा ने किया। इस अवसर पर राम अवतार जिंदल, डॉ. बूटी राम, सुरेश जलमाना और सीमा अरडाना ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया।

इस अवसर पर हरबीर सिंह पूर्व चेयरमैन नगरपालिका, सतीश वर्मा, महामंत्री राजेश सोनी, आशु प्रूथी, हरिकृष्ण अरोड़ा पूर्व चेयरमैन नगरपालिका आदि उपस्थित रहे।

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